"क्या कहानी में नाम होना आवश्यक है? शायद ये प्रशन गलत है । सही प्रशन
होगा, क्या पात्र की पहचान उसके नाम से होती है?" ये सोचते हुए वह अपने घर
पहुँच गया था । घर के दरवाज़े पर ताला लगा था, जाने क्या सुध हुई उसी से
पूछने लगा "तुम बताओ, कहानी में पात्र का नाम होना ज़रूरी है क्या ?" जाने
कहाँ से आवाज़ आई "कहानी का पता नहीं, पर असल ज़िन्दगी में तो है ।" वह
स्तब्ध रह गया, एक ताला कैसे बोल सकता है । पीछे मुड़ कर देखा एक २०-२२ साल
का लड़का गैलरी में झाड़ू मार रहा था। लड़के ने उसकी ओर देखते हुए एक
मुस्कराहट दी और फिर सफाई करने में लग गया ।
मनु कंचन
मनु कंचन
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