गर्मी
का मौसम था|
शाम के छह
बज रहे होंगे
सूरज कि स्थिति
से उसने अनुमान
लगाया । यह
सोचते हुए वह
बाज़ार की ओर
बढ़ रहा था
। पैदल ही
जा रहा था,
आखिर छोटे जगह
में रहने का
यही फायदा है
सब आस पास
ही होता है
। वो अंग्रेजी
में कहते हैं
न 'वाकिंग डिस्टेंस',
यहाँ पर पूरा
शहर ही वाकिंग
डिस्टेंस पर है
। सो वह
पैदल ही निकल
गया । बाज़ार
अब सामने ही
था रोड के
उस पार। तभी
कुछ दूर खड़े
अंकल किसी से
बात करते दिखाई
दिए । वह
कई बार अंकल
से घर पर
मिला था, तो
सोचा अभी नमस्ते
करके जाता हूँ
| बात करते करते
अंकल ने इस
ओर देखा, तो
उसने मुस्कुराते हुए
सर को हल्का
सा झुका कर
नमस्ते कर दी
। अंकल ने
इशारे से कहा
एक मिनट रुको
। अंकल अपनी
बात ख़तम करके
उसके पास पहुंचे
और बोले "बेटा
कुछ काम था
क्या ।" उसने
कहा " नहीं अंकल
बस यहाँ से
गुज़र रहा था,
आपको देखा तो
सोचा नमस्ते कर
लूँ । " अंकल
मुस्कुराये और आशीर्वाद
देते हुए बोले
"हमेशा ऐसे ही
रहना" । वह
कुछ समझ नहीं
पाया । इससे
पहले कि कुछ
पूछ पाता, अंकल
वापिस जा चुके
थे ।
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