Saturday, March 22, 2014

हमेशा ऐसे ही रहना




गर्मी का मौसम था| शाम के छह बज रहे होंगे सूरज कि स्थिति से उसने अनुमान लगाया यह सोचते हुए वह बाज़ार की ओर बढ़ रहा था पैदल ही जा रहा था, आखिर छोटे जगह में रहने का यही फायदा है सब आस पास ही होता है वो अंग्रेजी में कहते हैं 'वाकिंग डिस्टेंस', यहाँ पर पूरा शहर ही वाकिंग डिस्टेंस पर है सो वह पैदल ही निकल गया बाज़ार अब सामने ही था रोड के उस पार। तभी कुछ दूर खड़े अंकल किसी से बात करते दिखाई दिए वह कई बार अंकल से घर पर मिला था, तो सोचा अभी नमस्ते करके जाता हूँ | बात करते करते अंकल ने इस ओर देखा, तो उसने मुस्कुराते हुए सर को हल्का सा झुका कर नमस्ते कर दी अंकल ने इशारे से कहा एक मिनट रुको अंकल अपनी बात ख़तम करके उसके पास पहुंचे और बोले "बेटा कुछ काम था क्या " उसने कहा " नहीं अंकल बस यहाँ से गुज़र रहा था, आपको देखा तो सोचा नमस्ते कर लूँ " अंकल मुस्कुराये और आशीर्वाद देते हुए बोले "हमेशा ऐसे ही रहना" वह कुछ समझ नहीं पाया इससे पहले कि कुछ पूछ पाता, अंकल वापिस जा चुके थे

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