कमल (BJP+) आये या हाथ (Congress+),
हैं तो दोनों ही चोरों की बारात,
जिस मर्ज़ी को रख लो अपने साथ,
लूटेंगे तुमको ये खुले हाथ,
दोनो के हैं कारोबारी ही नाथ,
प्रसाद पूंजी का ही लगाएंगे दिन रात,
कारखाने लगेंगे हाथोँ हाथ,
मज़दूरों की ना सुनेगा कोई बात,
बहुत बढ़ेगी ठेकेदारी की जात,
मौत लगाएगी खेतों में घात,
कहीं सूखा तो कहीं होगी पैसे की बरसात,
ऐसे ही अच्छे दिन हैं और आएंगे इनके साथ,
ऐसे रहे हैं और ऐसे ही होंगे इस लोकतंत्र के हालात...
हैं तो दोनों ही चोरों की बारात,
जिस मर्ज़ी को रख लो अपने साथ,
लूटेंगे तुमको ये खुले हाथ,
दोनो के हैं कारोबारी ही नाथ,
प्रसाद पूंजी का ही लगाएंगे दिन रात,
कारखाने लगेंगे हाथोँ हाथ,
मज़दूरों की ना सुनेगा कोई बात,
बहुत बढ़ेगी ठेकेदारी की जात,
मौत लगाएगी खेतों में घात,
कहीं सूखा तो कहीं होगी पैसे की बरसात,
ऐसे ही अच्छे दिन हैं और आएंगे इनके साथ,
ऐसे रहे हैं और ऐसे ही होंगे इस लोकतंत्र के हालात...
मनु कंचन
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