पीछे कैरियर पर स्कूल का बैग रखा था। स्कूल का बैग उस पतले से कैरियर पर संभाले रखना भी एक कला बन गयी थी । किताबों और कॉपियों की जमावट एक चित्र का रूप लेती जा रही थीं। बैग उसके लिए कागज़नुमा कैनवस और हर किताब, हर कॉपी एक अलग नया रंग। इस चित्र को हर रोज़ बनाना और फिर शाम को इसे बिगाड़ना, नहीं नहीं बिगाड़ना नहीं मिटाना ताकि फिर एक नया चित्र बना सके, एक नियम बन गया था। उसके लिए स्कूल जाना इस चित्र को बनाने का एक अवसर था। उस दिन भी वह अपने चित्र के साथ अपनी कक्षा में बैठा था। आस पास सब व्यस्त थे रंगों से कागज़ को भरने में। ड्राइंग की क्लास चल रही थी। उसने भी अपना बैग उठाया और पिछला चित्र मिटा कर एक नया चित्र बनाने लगा। कुछ देर बाद मैडम उसके पास आयीं। अपनी दुनिया में खोया उसे लगा मैडम उसके बैग के बारे में जानकार खुश होंगी। उसे क्या पता जहाँ वो चला गया है उस जगह के दरवाज़े पे दुनिया ने "प्रवेश निषेध" लिखकर मानकीकरण का एक ताला टांग दिया है। तभी मैडम चिल्लाते हुए बोली "बैग नीचे रखो और रंग भरने शुरू करो।" उसने सहम कर बैग नीचे रखा और रंग उठा लिए। भरे उसने तब भी नहीं, पर उसे "प्रवेश निषेध" अब साफ़ साफ़ लिखा हुआ दिख रहा था। कैरियर पे बैग को संभालते संभालते साईकिल गलत दिशा में मुड़ गई थी।
मनु कंचन
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