जब तक हम कुछ बोले नहीं तब तक ही हम अच्छे थे,
जब कुछ बोलकर मैदान में आ गए,
तो कहने लगे ये तो अकल से भी कच्चे थे,
न बोलते तो हम सो न पाते,
अब बोल दिए तो संग ही रात गुजारेंगे,
कुछ तारे तुम चुनना कुछ हम चुन लाएंगे,
अमावस की काली रात में,
इन्हीं तारों से, इक बेदागी चाँद सवांरेंगे,
जो कोई और हम जैसा फिर कहीं और रात गुज़ारेगा,
अगली बार अपनी दुआ में हम दोनों का नाम पुकारेगा
-- मनु कंचन
जब कुछ बोलकर मैदान में आ गए,
तो कहने लगे ये तो अकल से भी कच्चे थे,
न बोलते तो हम सो न पाते,
अब बोल दिए तो संग ही रात गुजारेंगे,
कुछ तारे तुम चुनना कुछ हम चुन लाएंगे,
अमावस की काली रात में,
इन्हीं तारों से, इक बेदागी चाँद सवांरेंगे,
जो कोई और हम जैसा फिर कहीं और रात गुज़ारेगा,
अगली बार अपनी दुआ में हम दोनों का नाम पुकारेगा
-- मनु कंचन